Wednesday, March 3, 2010

मैं अक्सर सोचता रहता हूँ ,तुम.......

मैं अक्सर सोचता रहता हूँ ,तुम अक्सर यह चाहते हो ,
की हर महफ़िल में सब मुझ को ,मेरे ग़म को सराहें ,
मेरा गहरा पुराना दर्द ,बन कर ग़मे जब बिखरें ,
यह संगदिल दुनियां वाले दाद दें और मुस्कुराएँ ,

पत्थर के जिगर वालो ,मेरे ग़मों को ना लूटो ,
ना जाने वक्त कब फिर मेहरबाँ हो कर तरस खाए ,
है गर यह फ़ैसला उन का ,मेरे मरने पे आयें गे,
दुआएं सब करो यारो कि मुझ को मौत जाये ....

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