Friday, March 5, 2010

मेरे लिए मांगी थी तपिश तूने

मेरे लिए मांगी थी तपिश तू ने ख़ुदा से ,
इस वास्ते ता-ज़िन्दगी जलता ही रहूँ गा,
मैं फितरतन छा जाऊंगा हर सुबहो फ़लक पर ,
हर
शाम तेरी चाह पे ढलता ही रहूँ गा ,

दिल
में लिए तूफ़ान मुस्कान लबों पर ,
ज़ख्मो के समंदर में मचलता ही रहूँ गा ,
गर
रोक सके रोक ले मुझ को यह ज़माना ,
जब
तक चले गी साँस में चलता ही रहूँ गा ,

1 comment:

  1. jindagi me agr kisi ne kuch parents k bad sikhaya h to wo ap hain,apki shayari ka har alfaz hamare liye prerna h sir ap really bhot acha likh rahe hain i love it

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