मेरे लिए मांगी थी तपिश तू ने ख़ुदा से ,
इस वास्ते ता-ज़िन्दगी जलता ही रहूँ गा,
मैं फितरतन छा जाऊंगा हर सुबहो फ़लक पर ,
हर शाम तेरी चाह पे ढलता ही रहूँ गा ,
दिल में लिए तूफ़ान औ मुस्कान लबों पर ,
ज़ख्मो के समंदर में मचलता ही रहूँ गा ,
गर रोक सके रोक ले मुझ को यह ज़माना ,
जब तक चले गी साँस में चलता ही रहूँ गा ,
jindagi me agr kisi ne kuch parents k bad sikhaya h to wo ap hain,apki shayari ka har alfaz hamare liye prerna h sir ap really bhot acha likh rahe hain i love it
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