बिखर गया इक पल में तेरी यादों का प्यारा संसार ,
रंग तेरी तस्वीर पे हम ने नहीं लगाया अब की बार,,
बंद कमरे में बैठ अकेले ,किस्मत को जी भर के कोसा,
नाम आँखों से एक भी कतरा ,नहीं बहाया अब की बार,,
तकिये के नीचे तेरी तस्वीर , छिपा कर तो रखी थी,
लेकिन आधी रातको दिल से नहीं लगाया अब की बार ,,
हम जिस साज़ के मधुर सुरों पर,मगन मस्त झूमा करते थे ,
जाने उस ने किस महफ़िल में रंग जमाया अब की बार ,,
अब शायद यह संग कभी भी रंगों से ना खेल सके गा ,
इन्द्रधनुष पर स्याह बादल का ,साया छाया अब की बार ,,
रंग तेरी तस्वीर पे हम ने नहीं लगाया अब की बार .......
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