Wednesday, March 3, 2010

जितनी भी बार मैंने तुम से

जितनी भी बार मैंने तुम से रास्ता पूछा,
तुम ने ऊँगली के इशारे से राह दिखलाया ,
पूछता मैं रहा मुड़ , मुड के पूछने खातिर ,
और हर बार संग ,तुम ने वोह ही दोहराया ,

आज भटका हूँ मै ,फिर खोये बिना होश हवास ,
फिर से इक बार, उसी राह पे रहा हूँ मैं ,
रास्ता पूछूं गा ,शायद वोह आज कह ही दे ,
साथ जाओ उसी और जा रहा हूँ मै ,,

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