Saturday, March 6, 2010

तेरे करीब हूँ ,तू पास है ....

तेरे करीब हूँ ,तू पास है ,हूँ खुश कितना ,
बंद पलकों से तुझे देखता ही जाता हूँ,
आँख खुलते ही ,हकीकत का नज़ारा पा कर,
खुद को मै दूर , बहुत दूर ,खड़ा पाता हूँ ,

हम करीब आये थे ,समझा था कि ग़म कम होंगे ,
दिल-बीमार संभल जाए गा ,वोह संग होंगे ,
गर यह हम जानते , महफ़िल में तेरी आते ना,
फिर वही मै ,वही यादें ,औ वही ग़म होंगे ,

हद जिस कि क़यामत हो ,उसे इंतज़ार कहतें हें ,
इसी ख़याल से कहते नहीं ,चुप रहतें हें ,
राह के बुझते चिराग़ों पे ज़रा ग़ौर करो ,
एक ख़ामोश जुबां में ,यह कुछ तो कहतें हें ,,

1 comment:

  1. ap jante bhi hain ap kya likh rahe hain,ye shayari aag lagane wali h desh me,apka 1-1shabd jindagi ki hakikat byaan karta h

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