La-jawaab
Sunday, February 21, 2010
फिर तुम
गुलशन के वीरां कोने में , मेरा घर था , मेरा घर है ,
भंवरो की बस्ती में बोलो ,हम तुम को कैसे मिल जाते ,,
मेरे
हाथों
की
लकीरों
में
जो
पढ़
सकते
हो
पढ़
लो
,
इनमे
धुंधला
सा
कोई
नाम
कई
बार
लिखा
है
..
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