दर्द की शिद्दत में जाने क्या से क्या हम कह गए ,
ऐ खुदा उन को हमारी बददुआयें ना लगें,
मिरे यार का तस्सव्वुर इस दर्जा है मुक्कदस ,
तख्लीके काबा हो गयी ,सिजदा जहाँ किया ,
रूठे वोह ख्वाब में हम आँख नहीं खोलें गे ,
ख्वाब में फिर से वोह आये ओ मनाये मुझ को,
रखें गे दिल में संजो कर उम्र भर रिश्तों को हम,
यह है दीगर बात , अपने लब नहीं खोलें गे हम,,
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